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राकेश तिवारी की कहानी ‘अंजन बाबू हँसते क्यों हैं’

80-90 के दशक में जब दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तो जिन कथाकारों की कहानियां पढने में आनंद आता था उनमें एक राकेश तिवारी थे. मध्यवर्गीय जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को लेकर कई कमाल की कहानियां लिखी उन्होंने. बीच में अपने लेखन को लेकर खुद लापरवाह हो गए. अभी दो …

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साहित्यकरवा सब फ्रॉड है!

शीर्षक से कुछ और मत समझ लीजियेगा. असल में यह एक मारक व्यंग्य लेख है. संजीव कुमार को आलोचक, लेखक के कई रूपों में जानता रहा हूँ, लेकिन पिछले कुछ अरसे से उनके व्यंग्य लेखन का कायल हो गया हूँ. भाषा का खेल, रामपदारथ भाई जैसा किरदार. यह व्यंग्य का …

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गाँठ जीवन से जितनी जल्दी निकले उतना अच्छा

ब्रेस्ट कैंसर को लेकर हमने पहले भी कई कवितायेँ पढ़ी हैं, उन कविताओं को लेकर लम्बी-लम्बी बहसों की भी आपको याद होगी. आज कुछ कविताएं प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखिका विभा रानी की. कैंसर पर जीत हासिल करने के बाद उन्होंने यह ताजा कविताएं आपके लिए भेजी हैं. रोग का शोक नहीं …

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