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मधुकर सिंह सचमुच जनता के लेखक थे

मैं आरा को नहीं धरहरा, आरा को जानता था, क्योंकि वहां मधुकर सिंह रहते थे. अपने गाँव में रहते हुए जब उनकी कहानियां पढता था तो लगता था अपने गाँव के टोले-मोहल्ले की कहानियां पढ़ रहा हूँ. बाद में जब कहानियां लिखना शुरू किया तो उसके पीछे कहीं न कहीं …

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आस्तीक वाजपेयी की पुरस्कृत कविता ‘विध्वंस की शताब्दी’

इस साल युवा कविता का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार आस्तीक वाजपेयी को उनकी कविता ‘विध्वंस की शताब्दी’ के लिए देने की घोषणा हुई है. यह लम्बी कविता मनुष्य के अस्तित्व से जुड़े सवालों को उठाती है. आस्तीक की यह कविता बने बनाए आग्रहों, बने बनाए शिल्पों का ध्वंस भी करती है. इस …

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आत्मविस्मृति से आत्मान्वेषण की यात्रा: क्वीन

आजकल सिनेमा पर गंभीर लेख कम ही पढने को मिलते हैं. फ़िल्में आती हैं, कुछ दिन उनकी चर्चा होती है फिर सब भूल जाते हैं. लेकिन कुछ समय बाद कोई किसी फिल्म पर लिखे, उसके ट्रेंड्स की चर्चा करे तो लगता है इस फिल्म में कुछ था. अभी दिल्ली विश्वविद्यालय …

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