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पीयूष मिश्रा के गीतों को पढ़ते हुए

हाल में ही एक किताब आई है ‘मेरे मंच की सरगम’. इसमें वे गीत संकलित हैं जो पीयूष मिश्रा ने नाटकों के लिए लिखे थे. उन नाटकों के लिए जिनको एक जमाने में हम उनके गीतों के लिए ही देखते थे. उन गीतों को पढ़ते हुए यह छोटा-सा लेख लिखा …

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कोई बहेलिया जाल फैलाता है, एक गंधर्व गाता है

आज सुबह ‘जनसत्ता’ में प्रियदर्शन की कविताएं पढ़ी. कुछ कविताएं ऐसी होती हैं जिनको पढने सुनने का अनुभव अनिर्वचनीय होता है. उनके बारे में कुछ भी अतिरिक्त कहने का मन नहीं करता. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर. ================ एक बार कुमार गंधर्व को सुनते हुए एक आंख कुछ छलछलाती है होंठ …

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दिलीप कुमार की अंग्रेजी और पेशावर में जश्न

अभी 9 जून को हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार की आत्मकथा ‘The Substance And The Shadow’ रिलीज हुई है. इसमें उनके बचपन, उनके सिनेमाई अनुभवों को लेकर काफी रोचक बातें हैं. प्रस्तुत है उसका एक छोटा-सा अंश- मॉडरेटर. ============ मेरे जीवन में देवलाली(मुम्बई के पास एक पहाड़ी जगह) …

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