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ज्योत्स्ना जी हम सब की उम्र का होकर जीना जानती थी

  ज्योत्स्ना मिलन के जाने से जो शून्य साहित्यिक जगत में पैदा हुआ है उसे कुछ शब्दों से भरने की कोशिश की है कवि-लेखक अनिरुद्ध उमट ने. अनिरुद्ध जी करीब 25 सालों से ज्योत्स्ना जी को बहुत करीब से जानते थे. ज्योत्स्ना जी की स्मृति को प्रणाम- जानकी पुल. ================================ …

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इस तरह निकली घर से जैसे कभी लौटना न हो

ज्योत्स्ना मिलन जी का जाना साहित्य से उस मानवीयता का जाना है जो अब साहित्यिक परिसर में धीरे धीरे विरल होता जा रहा है. ज्योत्स्ना जी ने बहुत अच्छी कविताएं भी लिखी हैं. आज उनको जानकी पुल की तरफ से श्रद्धांजलि स्वरुप चुनिन्दा कविताएं जो श्री पीयूष दईया ने हमें …

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यह उपन्यास हर उस व्यक्ति के लिए है जिसने कभी प्यार की चाह की हो

अंग्रेजी लेखिका मीनाक्षी ठाकुर का उपन्यास ‘लवर्स लाइक यु एंड आई’ प्रेम पत्रों के संग्रह की तरह है जिसे आप पलटने लगें और और पुराने दिनों की हूक आपके अंदर उठने लगे. उनका एक छोटा सा इंटरव्यू ‘ओपन रोड रिव्यू’ में आया है जिसे कुलप्रीत यादव ने लिया है. इस इंटरव्यू को हिंदी में लाना इसलिए भी …

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