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कलाकार और बलात्कार

आज वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने जनसत्ता में तरुण तेजपाल प्रकरण के बहाने लेख लिखा है. उनके तर्क गौर करने लायक हैं- जानकी पुल.  =============================== तरुण तेजपाल को मैं कलाकार मानता हूँ – अभिधा और व्यंजना, दोनों स्तरों पर।  व्यंग्यार्थ को छोड़िए, क्योंकि इस अर्थ में बहुत-से लोग आ जाएँगे – …

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पप्पू यादव की आत्मकथा का एक अंश

किताब लिखने का अधिकार सबको है, उनको पढने न पढने का अधिकार भी हमारा है. राजेश रंजन @ पप्पू यादव की आत्मकथा ‘द्रोहकाल का पथिक’कोई साहित्यिक कृति नहीं है, लेकिन 90 के दशक के बाद की राजनीति से उभरे एक नेता की आत्मकथा है. विमोचन के एक दिन पहले से …

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ओमप्रकाश वाल्मीकि ने हिंदी की चौहद्दी का विस्तार किया

ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के प्रति एक छोटी सी श्रद्धांजलि ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित हुई. मैंने ही लिखी है- प्रभात रंजन  ====================== ओमप्रकाश वाल्मीकि की एक कविता ‘शब्द झूठ नहीं बोलते’ की पंक्तियाँ हैं- मेरा विश्वास है/तुम्हारी तमाम कोशिशों के बाद भी/शब्द ज़िन्दा रहेंगे/समय की सीढ़ियों पर/अपने पाँव के निशान/गोदने के लिए/बदल …

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