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‘अरे! तुम! उमराव जान अदा !’

रोहिणी अग्रवाल एक सजग आलोचक और संवेदनशील कथाकार हैं. उनके इस लेख में उनके लेखन के दोनों रूप मुखर हैं. आप भी पढ़िए- जानकी पुल. ================================= हर चैनल पर आनंद से उमगते मनचलों की भीड़ है जो डांस क्लबों में बार डांसर्स के दोबारा लौट आने की खबर से बाग–बाग …

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दबाव आप पर तब नहीं, अब आया है

‘लमही सम्मान’ के सम्बन्ध में सम्मान के संयोजक और ‘लमही’ पत्रिका के संपादक विजय राय द्वारा यह  कहे जाने पर कि 2012 के सम्मान के निर्णय में निर्णायक मंडल से चूक हुई, सम्मानित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपना सम्मान वापस कर दिया. अब उस सम्मान के संबंध में महेश भारद्वाज, …

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यह समय हमारी कल्पनाओं से परे है

‘देर आयद दुरुस्त आयद’- यह मुहावरा अंजू शर्मा के सन्दर्भ में सही प्रतीत हो है. उन्होंने कविताएँ लिखना शायद देर से शुरू किया लेकिन हाल के वर्षों में जिन कवियों ने हिंदी में अपनी पहचान पुख्ता की है उनमें अंजू शर्मा का नाम प्रमुखता से लिए जा सकता है. आज …

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