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औरंगजेब, दारा, लाहौर और रिश्तों के अँधेरे

मोहसिन हामिद समकालीन पाकिस्तानी अंग्रेजी लेखन का जाना-माना नाम है. अभी उनके मशहूर उपन्यास ‘रिलक्टेंट फण्डामेंटलिस्ट’ पर फिल्म भी आई थी. उनके पहले उपन्यास ‘मोथ स्मोक’ का अनुवाद पेंगुइन से प्रकाशित हुआ है ‘जल चुके परवाने कई’ नाम से. अनुवाद मैंने किया है. कई अर्थों में यह उपन्यास समकालीन पाकिस्तानी …

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विचारोत्तेजक बात यही है कि हम अब भी विचार नहीं करते

हाल के दिनों में आभासी दुनिया और प्रिंट मीडिया में जो सबसे गंभीर साहित्यिक बहस चली है वह कवि कमलेश के ‘समास’ में प्रकाशित साक्षात्कार तथा उसमें आये एक तथाकथित विवादास्पद बयान को लेकर चली. यह कुछ ऐसी बहसों में से है जिसने हिंदी साहित्य के दो ध्रुवान्तों को स्पष्ट …

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नायक विहीन समय में प्रेमचंद

आज मुख्यधारा की मीडिया में प्रेमचंद की जयंती पर उनको याद करते हुए कुछ अच्छे लेख प्रकाशित हुए हैं. ‘जनसत्ता’ में शम्भुनाथ ने अच्छा लेख लिखा है. लेकिन वह हमें इतनी सुबह-सुबह उपलब्ध नहीं हो पाया. फिलहाल यह लेख पढ़िए- सदानंद शाही ने लिखा है और यह लेख छपा है …

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