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मनोहर श्याम जोशी के एक अप्रकाशित उपन्यास का अंश

मनोहर श्याम जोशी ने १९६० के दशक में एक उपन्यास लिखना शुरू किया था- ‘किस्सा पौने चार यार’. इस उपन्यास का एक अंश १९६६ में ‘विग्रह’ नामक पत्रिका में छपा था. उपन्यास पूरा नहीं हो पाया. उस अधूरे-अप्रकाशित उपन्यास का एक अंश आपके लिए- जानकी पुल. =================================================== उझकि झरोखा झांके …

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और भी बहुत कुछ छूट जाता है पीछे…

सुदीप्ति कम लिखती हैं लेकिन इतने अपनेपन के साथ गद्य का उपयोग कम ही लेखक करते होंगे. अब देखिये न गर्मी की छुट्टियों का मौसम चल रहा है और उनके आत्मीय संस्मरण को पढ़कर मैं भी अपने गाँव-घर पहुँच गया-अपनी बहनों, बुआओं, मौसियों और नानी के पास- प्रभात रंजन. ========================================== …

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मुगलों ने सल्तनत बख्श दी

चीन लद्दाख में तम्बू तानता जा रहा है. मुझे बार-बार भगवतीचरण वर्मा की कहानी ‘मुगलों ने सल्तनत बख्श दी’ याद आ रही है. इस कहानी में भी तम्बू तानने का ही खेल है, भगवतीचरण वर्मा की जबरदस्त किस्सागोई. जिन्होंने यह कहानी नहीं पढ़ी है उनके लिए- प्रभात रंजन  ==========================================================  हीरोजी …

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