कवि-लेखक यतीश कुमार की किताब आई ‘बोरसी भर आँच: अतीत का सैरबीन’। संस्मरण विधा की …
Read More »वे मेरे भाई-दोस्त नहीं,सिर्फ रामभक्त थे
छह दिसंबर की तारीख एक ऐसे दुस्स्वप्न की तरह है जो हमारी स्मृतियों में टंगा रह गया है. विनीत कुमार याद कर रहे हैं छह दिसंबर १९९२ की उस सुबह को जिसने हिन्दुस्तान की तारीख बदल दी, कुछ-कुछ हम सबकी भी- जानकी पुल. =============================== 6 दिसंबर की सुबह. बिहारशरीफ, मेरे …
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