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वे मेरे भाई-दोस्त नहीं,सिर्फ रामभक्त थे

छह दिसंबर की तारीख एक ऐसे दुस्स्वप्न की तरह है जो हमारी स्मृतियों में टंगा रह गया है. विनीत कुमार याद कर रहे हैं छह दिसंबर १९९२ की उस सुबह को जिसने हिन्दुस्तान की तारीख बदल दी, कुछ-कुछ हम सबकी भी- जानकी पुल. =============================== 6 दिसंबर की सुबह. बिहारशरीफ, मेरे …

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काफल पाको त्वील नी चाखो

बेजोड़ गद्यकार मनोहर श्याम जोशी ने ‘कूर्मांचली’ के नाम से कविताएँ भी लिखी हैं. उन्होंने अपनी कविताओं के विषय में लिखा है कि अज्ञेय उनकी कविताओं को ‘तीसरा सप्तक’ में शामिल करना चाहते थे. लेकिन उन्होंने अपनी कविताएँ अज्ञेय जी को समय पर नहीं दी इसलिए वे ‘सप्तक कवि’ बनते …

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एक नयी शुरूआत का तुमुल नाद है

युवा लेखक मिहिर पंड्या की पुस्तक “शहर और सिनेमा:वाया दिल्ली” की काफी चर्चा रही. उसी पुस्तक पर प्रसिद्ध लेखक स्वयंप्रकाश ने यह टिप्पणी लिखी है- जानकी पुल. =================================================    “शहर और सिनेमा:वाया दिल्ली” युवा फिल्म समीक्षक मिहिर पंड्या की पहली किताब है. इसके पीछे विचार यह है की हिंदी सिनेमा में दिखाए …

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