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क्यों एक फ़िल्म ज़बरन कल्ट साबित होना चाहती है?

फ़िल्में आती हैं, हफ्ते-दो हफ्ते उनके ऊपर चर्चा होती है, फिर फिल्म विमर्शकार भी उस फिल्म को भूल जाते हैं और किसी अगली फिल्म के हो-हल्ले में लग जाते हैं. लेकिन असली मूल्यांकन तो वह होता है जो उस फिल्म के प्रचार-प्रसार, हो-हल्ले के थम जाने के बाद किया जाए. …

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का खाएँ का पिएँ का ले परदेस जाएँ

प्रसिद्ध आलोचक-अनुवादक गोपाल प्रधान ने यह लोक कथा भेजते हुए याद दिलाया की आज के सन्दर्भ में इसका पाठ कितना मौजू हो सकता है. सचमुच चिड़िया और दाना की यह कथा लगता है है आज के दौर के लिए ही लिखी गई थी- जानकी पुल. ==================================== एक चिड़िया को दाल …

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वरिष्ठ लेखकों की नजर में हिंदी का क्लासिक साहित्य

हिंदी साहित्य में क्लासिक की खोज में युवा लेखक-पत्रकार विनीत उत्पल ने हिंदी के कुछ प्रमुख लेखकों से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर उनकी नजर में कालजयी कृतियाँ कौन-सी हैं.  उदय प्रकाश, राजेंद्र यादव, निर्मला जैन, काशीनाथ सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी, चित्रा मुद्गल और देवेन्द्र राज …

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