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खाकर वे सो रहे हैं जागकर हम रो रहे हैं

 ये अशोक वाजपेयी की नई कविताएँ हैं. करीब अर्ध-शताब्दी से अशोक वाजपेयी हिंदी कविता में दूसरी परम्परा की सबसे बड़ी आवाज के तौर पर मौजूद हैं, बेहद मजबूती से. उनकी कविताओं में हिंदी कविता की अनेक परम्पराओं की गूँज सुनाई देती है, लेकिन कविता में उन्होंने अपनी परंपरा भी बनाई. …

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दो चाणक्यों की एक कहानी

  ‘चाणक्य मंत्र’– पुस्तक हाथ में आई तो लगा ही नहीं यह उपन्यास है. शीर्षक से से लगा शायद चाणक्य की नीतियों-सूत्रों न की कोई किताब होगी. कवर पर प्राचीनकाल की मुद्राओं को देखकर शायद कुछ अधिक लगा. लेकिन जब पलटना शुरु किया तो पढ़ता चला गया. यात्रा बुक्स तथा …

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कविता-आयोजनों की बहुलता ने फिर से कविता को जेरे-बहस किया है

कान्हा में प्रकृति के ‘सान्निध्य’ में कवियों के मिलन की चर्चा ने कुछ दूसरा ही रंग पकड़ लिया है. लेकिन वहां केवल दक्षिण-वाम का मिलन ही नहीं हो रहा था, कविता को लेकर कुछ गंभीर चर्चाएँ भी हुईं. कवि गिरिराज किराड़ू का यह लेख पढ़ लीजिए, जो कवियों के ‘सान्निध्य’ …

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