कवि-लेखक यतीश कुमार की किताब आई ‘बोरसी भर आँच: अतीत का सैरबीन’। संस्मरण विधा की …
Read More »कुछ भी ठोस नहीं रहता, सब पिघलता जा रहा है
युवा मीडिया समीक्षक विनीत कुमार की पुस्तक ‘मंडी में मीडिया’ की यह समीक्षा मैंने लिखी है. आज ‘जनसत्ता’ में प्रकाशित हुई है- प्रभात रंजन ================================ जब युवा मीडिया विमर्शकार विनीत कुमार यह लिखते हैं कि ‘मेरे लिए मीडिया का मतलब इलेक्ट्रानिक मीडिया ही रहा है’, तो वास्तव में वे इस …
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