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तात, बंधु, सखा, चिर सहचर

प्रभाष जोशी आज होते तो ७५ साल के होते. ओम थानवी का यह लेख ‘जनसत्ता’ और प्रभाष जोशी के संबंधों को लेकर ही नहीं पत्रकारिता की उस परंपरा की भी याद दिलाती है, जो बाजार के चमक-दमक के इस दौर में भी अपनी जिद पर कायम है. ‘जनसत्ता’ में आज …

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गुवाहाटी के गले से चीख निकली है

युवा कवि त्रिपुरारि कुमार शर्मा की कविता. इसके बारे में अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, कविता अपने आप में सब बयान कर देती है- जानकी पुल. =========================================================गुवाहाटी के गले से चीख निकली है  चीख, जिसमें दर्द है, घुटन भी है चीख, जिसमें रेंगती चुभन भी है चीख, …

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हूँ नहीं उस दृश्य में फिर भी नया हूँ

हेमंत शेष हिंदी कविता की प्रमुख आवाजों में एक हैं. उनकी तीन कविताएँ आपके लिए- जानकी पुल. ============================================================== (ओम निश्चल को समर्पित) १.–अकेला होना  हिल गया हूँ दृश्य मेंलौट कर पीछे छूटती सड़क पर फिर अचानक- पेड़. … घिरती आ रही है शाम -तोता है वहां कोई ?हरेपन में डूबती कोई …

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