कवि-लेखक यतीश कुमार की किताब आई ‘बोरसी भर आँच: अतीत का सैरबीन’। संस्मरण विधा की …
Read More »सुरों के शहंशाह थे मेहदी हसन
मेहदी हसन नहीं रहे. जिस दौर में गजल गायकी शोर-शराबे में बदलती जा रही थी मेहदी हसन ने उसे अदब और तहजीब बख्शी. आज ‘जनसत्ता’ ने सम्पादकीय में उचित ही लिखा है कि उनकी गायकी में केवल रागों को साधने का कौशल ही नहीं था बल्कि उसे सुनने वालों तक …
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