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सांस जीती हैं देह को जैसे स्वरों में धडकता है संगीत

शास्त्रीय /उप शास्त्रीय संगीत के अंगों में जीवन रहस्य तलाशती वंदना शुक्ल की इन कविताओं की प्रकृति काफी अलग है. इनमें संगीत की आत्मा और मनुष्य के जीवन का संगीत साथ-साथ धड़कता सुनाई देता है. तुमुल कोलाहल कलह में- जानकी पुल.    ———————————————————- अलंकार (गंतव्य की ओर)-  सांस जीती हैं देह …

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बीती हुई उम्र एक किताब की तरह है

कमला प्रसाद जी को गए एक साल हो गया. हर पीढ़ी के लेखकों से गहरा जुड़ाव रखने वाले इस लेखक-आलोचक-संपादक को याद करते हुए प्रस्तुत है उनकी यह आत्म कहानी जो सेवाराम त्रिपाठी, विजय अग्रवाल और आशीष त्रिपाठी द्वारा लिए गए साक्षात्कार पर आधारित है और इसे हमने ‘शीतल वाणी’ …

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मौसम निशा नाम की एक लड़की जैसा था

समकालीन लेखकों में जिस लेखक की बहुविध प्रतिभा ने मुझे बेहद प्रभावित किया है उसमें गौरव सोलंकीएक हैं. गौरव की कहानियां, कविताएँ, सिनेमा पर लिखे गए उनके लेख, सब में कुछ है जो उन्हें सबसे अलग खड़ा कर देता है. वे परंपरा का बोझ उठाकर चलने वाले लेखक नहीं हैं. …

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