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क्या नाट्यशास्त्र आज भी प्रासंगिक है?

कवयित्री, नाट्यविद, संगीत-विदुषी वंदना शुक्ल हमेशा कला-साहित्य के अनछुए पहलुओं को लेकर बहुत गहराई से विश्लेषण करती हैं. जिसका बहुत अच्छा उदाहरण है यह लेख- जानकी पुल. —————————————————————————————————–  अभिनय का विस्तृत विवेचन करने वाला विश्व का सबसे प्रथम ग्रन्थ आचार्य भरत मुनि कृत ‘’नाट्य शास्त्र’’ है| भरतमुनि का नाट्यशास्त्र ऐसा ग्रन्थ …

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ऐसे दिक-काल में

हाल में ही युवा लेखक-पत्रकार अनिल यादव का यात्रा-वृत्तान्त आया है ‘यह भी कोई देश है महाराज’. उत्तर-पूर्व भारत के अनदेखे-अनजाने इलाकों को लेकर लिखे गये इस यात्रा-वृत्त में वहां का समाज, वहां की संस्कृति अपनी पूरी जीवन्तता के साथ मौजूद है. यहां पुस्तक का एक अंश जो  अरुणाचल प्रदेश …

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कि वह तो हमेशा हमेशा, कि वह तो कभी नहीं कभी नहीं

http://akhilkatyalpoetry.blogspot.co.ukपर अपने मित्र सदन झा के सौजन्य से ब्रिटिश कवयित्री जैकी के की यह कविता पढ़ी तो अच्छी लगी. सोचा आपसे भी साझा किया जाए. हिंदी में शायद यह जैकी के की पहली ही अनूदित कविता है. एक कविता और भी है जो शायद अखिल कात्यालकी है, प्यार, मनुहार, छेडछाड …

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