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Tag Archives: दिव्या विजय

सालाना त्यौहार बन गया है आईपीएल!

कल रामनवमी का पावन पर्व था. लेकिन कल रात में एक ऐसा त्यौहार शुरू हुआ है जो दो महीने तक अपना रंग जमायेगा- आईपीएल. मेरा एक छोटा सा व्यंग्य इसी त्यौहार पर- दिव्या विजय  ================================ कल से भारत का एक नया पर्व शुरू हो गया, नाम है आई पी एल। …

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‘कौन दिसा में लेके चला रे…’

पिछले दिनों इंडियन आइडोल में एक सरदार प्रतिभागी को गाते देख मुझे हिन्दी फ़िल्मों के उस भुला दिए गये सरदार गायक की याद हो आई जिसके गीत दो मौक़ों पर हम स्वयमेव गा बैठते हैं। होली के पर्व पर ‘जोगी जी धीरे–धीरे // नदी के तीरे–तीरे‘ गीत और किसी सफ़र …

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एक हाउस वाइफ का विमेंस डे

सभी को विमेंस डे की शुभकामनाएँ- दिव्या विजय =========================== बे-दम हुए बीमार दवा क्यों नहीं देते तुम अच्छे मसीहा हो शफ़ा क्यों नहीं देते                                                      आज न विमेंस डे मनाया जा रहा है. मैंने भी कह दिया पतिदेव से कि आज मेरी छुट्टी है…काम से भी, तुमसे भी, बाकी सबसे भी. …

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मार्केज़ की बताई जाने वाली कविता ‘द पपेट’ हिंदी में

साहित्य के नजरिये को बदल कर रख देने वाले लेखक गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ का आज जन्मदिन है. उनके असाधारण गद्य लेखन से हम सब अच्छी तरह से परिचित हैं. लेकिन उन्होंने कविता भी लिखी थी यह कम लोगों को पता होगा. वैसे यह कविता उनकी है या नहीं इसको लेकर …

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क्या होता अगर वह स्त्री न होकर पुरुष होती?

एक तरफ स्त्री आजादी की बात की जाती है दूसरी तरफ यह है कि आज भी कोई औरत अगर बोलती है तो पुरुष समाज उसको उसकी जगह बताने में लग जाता है. दिव्या विजय का एक लेख इस विषय पर- मॉडरेटर =============================================== क्या होता अगर वह स्त्री न होकर पुरुष …

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‘रंगून’ फिल्म नहीं एक अतुकांत कविता है

सोशल मीडिया के वर्चस्व के इस दौर में हम जजमेंटल होने की जल्दबाजी में रहते हैं. एक वाक्य में फैसला सुनाकर अगले फैसले की तरफ बढ़ जाते हैं. ‘रंगून’ फिल्म के साथ यही हुआ है. उस फिल्म की आज एक और डिफरेंट रीडिंग दिव्या विजय ने की है- मॉडरेटर ============ …

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दिव्या विजय की बाल कहानी ‘यक्ष की शामत आई’

आज बाल दिवस है. प्रस्तुत है दिव्या विजय की बाल कहानी- मॉडरेटर  =============================================== राजकुमार अजय आखेट के लिए निकले हुए थे. वह जूनागढ़ रियासत के इकलौते, मन्नतों से माँगे गए लाड़ले राजकुमार थे. रियासत की प्रजा को उनसे बहुत-सी अपेक्षाएं थीं तथा उनमें वह सुयोग्य राजा होने के गुण देखती …

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निर्मल को पढने से मन निर्मल हो जाता है

आज महान लेखक निर्मल वर्मा की पुण्यतिथि है. लेखिका दिव्या विजय ने उनके लिखे किरदारों को नाटक में जीने के अपने अनुभव के आधार पर लिखा है कि किस तरह निर्मल वर्मा के लिखे को महसूस किया जा सकता था. हिंदी के उस विश्वस्तरीय लेखक को श्रद्धांजलि- मॉडरेटर  ========================================================= निर्मल …

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यह फ़िल्म देखते हुए बरबस ही कामसूत्र याद हो आई!

‘पार्च्ड’ फिल्म को लेकर स्त्रीवाद के सन्दर्भ में काफी बहस हुई थी. यह लेख उसी फिल्म के बहाने लिखा है लेखिका दिव्या विजय ने- मॉडरेटर  ========= यह फ़िल्म देखते हुए बरबस ही कामसूत्र याद हो आई। नग्न अथवा कामक्रिया के दृश्यों के कारण नहीं वरन् देह की देह के प्रति …

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रेखा के रहस्य को उद्घाटित करने वाली किताब

इन दिनों यासिर उस्मान द्वारा रेखा पर लिखी गई किताब ‘रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी’ की अंग्रेजी में बहुत चर्चा है. जगरनौट प्रकाशन से प्रकाशित यह किताब अब हिंदी में भी आने वाली है. बहरहाल, युवा लेखिका दिव्या विजय ने अंग्रेजी की इस किताब को पढ़कर हिंदी में इसके ऊपर पहली …

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