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Tag Archives: राजकमल प्रकाशन

देर आयद दुरुस्त आयद: सुरेन्द्र मोहन पाठक

अगला साल सुरेन्द्र मोहन पाठक के लेखन का साठवां साल है. साथ साल पहले उनकी एक कहानी ‘माया’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. लेकिन अपने लेखकीय जीवन के साठवें साल में भी उनके पास नई-नई योजनायें हैं, अपने पाठकों के लिए नए नए प्लाट हैं. वे आज भी वैसे ही …

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राजकमल प्रकाशन का 70वां साल और सहयात्रा का उत्सव

हिंदी साहित्य के पर्याय की तरह है राजकमल प्रकाशन. पुस्तकों को लेकर नवोन्मेष से लेकर हिंदी के क्लासिक साहित्य के प्रकाशन, प्रसार में इन सत्तर सालों में राजकमल ने अनेक मील स्तम्भ स्थापित किये हैं. सहयात्रा के उत्सव के बारे में राजकमल प्रकाशन के सम्पादकीय निदेशक सत्यानन्द निरुपम के फेसबुक …

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नामवर सिंह की नई किताब है ‘द्वाभा’

जीते जी किंवदंती बन चुके नामवर सिंह की नई किताब आ रही है ‘द्वाभा’. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब के बारे में पढ़िए- मॉडरेटर =================================== नामवर सिंह अब एक विशिष्ट शख्सियत की देहरी लाँघकर एक लिविंग ‘लीजेंड’ हो चुके हैं। तमाम तरह के विवादों, आरोपों और विरोध के साथ असंख्य लोगों की …

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केदारनाथ सिंह के नए संग्रह से कुछ कविताएं

कवि केदारनाथ सिंह के मरणोपरांत है ‘मतदान केंद्र पर झपकी’।  इसका विमोचन होने वाला है। विमोचन से पहले पढ़िये संग्रह की कुछ कविताएं- मॉडरेटर ============================================= 1 कालजयी कहना चाहता था बहुत पहले पर अब जबकि कलम मेरे हाथ में है कह दूँ- जो लिखकर फाड़ दी जाती हैं कालजयी होती …

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त्रिलोकनाथ पांडेय के उपन्यास ‘प्रेम लहरी’ का एक अंश

आज प्रेम के देवता का प्रकट-दिवस है। मुझे त्रिलोकनाथ पांडेय के उपन्यास ‘प्रेम लहरी’ का स्मरण हो आया, जो राजकमल प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक उपन्यास में कई लहरें हैं प्रेम की। आज एक लहर जो इसकी मूल कथा से कुछ इतर है लेकिन इतिहास …

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‘गांधी की मेजबानी’ पुस्तक से एक अंश

रज़ा पुस्तकमाला श्रृंखला के अंतर्गत राजकमल प्रकाशन से कई नायाब पुस्तकों का प्रकशन हुआ है, दुर्लभ भी. इनमें एक पुस्तक ‘गांधी की मेजबानी’ भी है. मूल रूप से यह पुस्तक अंग्रेजी में मुरिएल लेस्टर ने लिखी है. गांधी की यूरोप यात्राओं के दौरान उनको महात्मा गांधी की मेजबानी का मौका …

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और असगर वजाहत का उपन्यास ‘कैसी आगी लगाई’

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बीच असगर वजाहत के उपन्यास ‘कैसी आगी लगाई’ की याद आई. इसका परिवेश एएमयू ही है. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास का एक अंश, जो संयोग से किसी ज़माने में हुए ऐसे ही सामाजिक तनाव को लेकर है- मॉडरेटर =================================== ये नई …

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पागल बनाने वाला उपन्यास है ‘पागलखाना’

  राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ पर यशवंत कोठारी की टिप्पणी- मॉडरेटर ================================================================= राजकमल प्रकाशन ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है। 271  पन्नों का  उपन्यास ऑनलाइन 595  रूपये (536+30+29)का पड़ा।  14 दिनों में डिलीवरी मिली। कवर पर  शेर और उसकी परछाई देख कर  ही डर …

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गुलजार साहब की ‘पाजी नज्में’

दिन भर हिंदी उर्दू की बहस देखता रहा, लेकिन शाम हुई तो गुलजार साहब याद आ गए. उनकी नज्मों की किताब आई है राजकमल प्रकाशन से ‘पाजी नज्में’. उसी संकलन से कुछ नज्में- मॉडरेटर ========================================== 1. ऐसा कोई शख़्स नज़र आ जाए जब… ऐसा कोई शख़्स नज़र आ जाए जब …

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मंगलेश डबराल का जन्मदिन मंगलेश डबराल की कविताएँ

आज सुबह से याद था कि आज मेरे प्रिय कवियों में एक मंगलेश डबराल का जन्मदिन है लेकिन उनकी कविताओं के माध्यम से उनको याद करने का मौका अब मिला. यही सच है कि जो लोग हमारे काम के नहीं होते उनको हम देर से याद करते हैं. फिर भी …

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