Home / Tag Archives: विजय शर्मा (page 2)

Tag Archives: विजय शर्मा

मार्केज़ की कहानी ‘मैं सिर्फ़ एक फ़ोन करने आई थी’

मार्केज मेरे प्रिय लेखकों में हैं और उनकी कई कहानियाँ हमारी सोच को बादल कर रख देती है। हमारी देखी भाली दुनिया को ऐसे दिखाते हैं की सब कुछ जादुई लगने लगता है। यह कहानी भी वैसी ही है। अनुवाद किया है वरिष्ठ लेखिका विजय शर्मा ने- मॉडरेटर ================= गैब्रियल …

Read More »

मैन इन गॉड्स ऑन लैंड: ‘द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ में पुरुष के तीन चेहरे

    इन दिनों अरुंधति रॉय अपने नए उपन्यास की वजह से चर्चा में हैं. विजय शर्मा जी ने उनके पहले उपन्यास ‘ गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ के पुरुष पात्रों की पड़ताल की है.   अरुंधति राय का उपन्यास ‘द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ उपन्यास जेंडर के विषय में है – …

Read More »

भारत का आम आदमी- सीधा-सादा, मेहनती, ईमानदार

वरिष्ठ लेखिका विजय शर्मा ने दिल्ली यात्रा और एक ऑटोचालक पर बड़ा दिलचस्प संस्मरण लिखा है. साझा कर रहा हूँ- मॉडरेटर ============ इस बार की दिल्ली यात्रा में समय कम था और काम बहुत ज्यादा। दिल्ली खूब फ़ैल गई है। अब अव्ह दिल्ली नहीं है जो अस्सी के दशक में …

Read More »

शमिया ऐतुन की कहानी ‘गर्मी की छुट्टी’

गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो चुकी है. शामिया ऐतुन की कहानी पढ़िए जिसका अनुवाद विजय शर्मा जी ने किया है-मॉडरेटर ========================================================= शामिया ऐतुन वह अपनी पुरानी गली में पड़ौसी बच्चों के साथ एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में खेलती थी। उसे इतना गर्व था कि वह यह बात अपने स्कूल …

Read More »

गांधारी का शाप गांधारी की प्रार्थना

महाभारत के किरदार गांधारी को लेकर प्रोफ़ेसर सत्य चैतन्य के इस लेखन का रूपांतरण विजय शर्मा जी ने किया है. एक नए नजरिये एक नई दृष्टि से. कल मदर्स डे है. हमें यह याद रखना चाहिए कि एक माँ गांधारी भी है जो एक एक करके अपने संतानों की मृत्यु का …

Read More »

जमशेदपुर में छः साल से चल रहा ‘सृजन संवाद’

यह रपट जमशेदपुर में चलाने वाली साहित्यिक गोष्ठी की है. साहित्य-सत्ता के केंद्र से दूर की गोष्ठियां अधिक रचनात्मक होती हैं. रपट पढ़िए. अंदाजा हो जायेगा- मॉडरेटर ======================== छ: वर्षों से निरंतर चल रही सीताराम डेरा की हमारी गोष्ठी का नामकरण हुआ। डॉ आशुतोष झा के सौजन्य से अब से …

Read More »

मार्केज़ की कहानी ‘सफ़ेद बर्फ़ पर लाल खून की धार’

कल हमने गाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ की बातचीत पढ़ी थी. आज उनकी एक कहानी का अनुवाद पढ़ते हैं. विजय शर्मा जी ने उनकी एक कहानी का अनुवाद किया है जिसके अंग्रेजी अनुवाद का शीर्षक है ‘द ट्रेल ऑफ़ योर ब्लड इन द स्नो’. कहानी मार्केज़ की अप्नी ख़ास ‘जादुई यथार्थवाद’ की …

Read More »

अम्बर्तो इको का उत्तर-आधुनिक मायालोक

उत्तर आधुनिकता के प्रमुख व्याख्याकारों, लेखकों में अम्बर्तो इको का नाम बहुत प्रमुखता से लिया जाता है. उनके ऊपर यह लेख विजय शर्मा ने लिखा है- मॉडरेटर  कुछ साल पहले एक फ़िल्म देख रही थी। खूब मजा आ रहा था। अपराध, हत्याएँ, रहस्य, जासूसी, भला किसे अच्छा न लगेगा? भूल-भुलैय्या …

Read More »