युवा शायर सीरीज में आज पेश है स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें – त्रिपुरारि ====================================================== ग़ज़ल-1 मेरे चारों सिम्त पहले जमअ तन्हाई हुई दिल-कचहरी में मिरी तब जा के सुनवाई हुई रेत पर लेटी हुई थी शाम लड़की सी किसी धूप से साहिल पे पूरे दिन की सँवलाई हुई धीरे धीरे …
Read More »स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें
कुछ लोग बंधे बंधाये मीटर में ग़ज़लें लिखते हैं, कुछ उस मीटर में भाषा को बदल कर उसे ताज़ा बना देते हैं. स्वप्निल तिवारी की ग़ज़लें ऐसी ही हैं. उनका एक ग़ज़ल संग्रह है ‘चाँद डिनर पर बैठा है‘. कुछ ग़ज़लें उसी संग्रह से से. उम्मीद करता हूँ कि आपको …
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