होली का पर्व अलग अलग रंगों के एक हो जाने का पर्व है. इसे पहले धर्म से जोर कर नहीं देखा जाता था. प्रसिद्ध लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह के इस लेख से यही पता चलता है- मॉडरेटर =========================== बनारस की होली का हाल सुनिए, यहाँ, यानी दिल्ली में तो रंग खेलने …
Read More »‘मुक्तांगन’ में ‘राम’ से शाम तक
वसंत के मौसम के लिहाज से वह एक ठंढा दिन था लेकिन ‘मुक्तांगन’ में बहसों, चर्चाओं, कहानियों, शायरी और सबसे बढ़कर वहां मौजूद लोगों की आत्मीयता ने 29 जनवरी के उस दिन को यादगार बना दिया. सुबह शुरू हुई राम के नाम से और शाम होते होते दो ऐसे शायरों …
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