70 के दशक में जिन्होंने ‘सारिका’ पढ़ा होगा वह कथाकार आलमशाह खान को नहीं भूल सकता. उनकी एक कहानी ‘किराए की कोख’ के खिलाफ कितने पत्र छपे थे, उनको धमकियाँ मिला करती थी. उनकी हर कहानी से उस दौर में सामाजिक संतुलन का नाटक भंग होता था. वे सच्चे अर्थों …
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