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Tag Archives: इनरलाइन पास

चलते-चलते दिमाग भी एक यात्रा पर निकल पड़ता है

करीब छः महीने हो गए उमेश पन्त की किताब ‘इनरलाइन पास’ के आये. हिन्द युग्म से प्रकाशित इस यात्रा वृत्तान्त को जिसने भी पढ़ा वह इसका हमसफ़र बन गया. इस किताब की यह विस्तृत समीक्षा श्रीश के. पाठक ने लिखी है- मॉडरेटर =================================================== बड़ी मुश्किल से हम गर्भ के कोकून …

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