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Tag Archives: गौरव सोलंकी-ज्ञानपीठ

हिंदी लेखकों का गुस्सा क्या अपने अहं की तुष्टि तक ही होता है?

अभी इतवार को प्रियदर्शन का लेख आया था, जिसमें गौरव-ज्ञानपीठ प्रकरण को अधिक व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने का आग्रह किया गया था. वरिष्ठ लेखक बटरोही ने उसकी प्रतिक्रिया में कुछ सवाल उठाये हैं. सवाल गौरव सोलंकी या ज्ञानपीठ का ही नहीं है उस मनोवृत्ति का है जिसका शिकार हिंदी का …

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क्या यह सचमुच एक आत्ममुग्ध युवा की व्यक्तिगत लड़ाई है?

ज्ञानपीठ-गौरव विवाद में मुझे यह सकारात्मक लग रहा है कि युवा लेखकों में इस प्रकरण के अनेक पहलुओं को लेकर बहस चल रही है. युवा लेखक श्रीकांत दुबे का यह लेख उसी बहस की अगली कड़ी है. श्रीकांत का कहानी संग्रह ‘पूर्वज’ हाल में ही भारतीय ज्ञानपीठ से आया है. …

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क्या संस्थाएं लेखन की मौलिकता और लेखक की अस्मिता से बड़ी हो गई हैं?

गौरव-ज्ञानपीठ प्रकरण में निर्णायक मंडल का मत एक महत्वपूर्ण पहलू है. क्या हिंदी के गणमान्य महज अपमानित होने के लिए निर्णायक बनते हैं या इसके पीछे कुछ और पहलू होते हैं. युवा लेखक विवेक मिश्र का यह लेख इस पूरे प्रकरण को एक अलग ‘एंगल’ से देखने का आग्रह करता …

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क्या यह नामवर जी का अपमान नहीं?

गौरव-सोलंकी-ज्ञानपीठ प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि हिंदी में पुरस्कार देने वाली संस्थाएं निर्णायक मंडल को कितना महत्व देती हैं. जिस निर्णायक मंडल ने गौरव सोलंकी को पुरस्कार दिया था, उसके कहानी संग्रह को छापने की संस्तुति दी थी उसके अध्यक्ष थे मूर्धन्य आलोचक नामवर सिंह, सदस्यों में …

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न तो कौरव के साथ हूं और न ही गौरव के साथ

‘ग्यारहवीं ए के लड़के’ के बहाने युवा लेखक त्रिपुरारि कुमार शर्मा- जानकी पुल. —————————————————————————- मेरे लिए युवा लेखक गौरव सोलंकी जितने परिचित/अपरिचित हैं, उतने ही भारतीय ज्ञानपीठ के तथा–कथित आका (मैं सोचने में असमर्थ हूँ कि किसका नाम लिखना चाहिए) एण्ड कम्पनी। दोनों में से किसी को भी मैं व्यक्तिगत …

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गौरव सोलंकी की कहानी ‘ग्यारहवीं ए के लड़के’

यही वह कहानी है जिसके कारण भारतीय ज्ञानपीठ ने प्रसिद्ध युवा लेखक गौरव सोलंकी के कहानी संग्रह को प्रकाशित करने में टालमटोल किया, बरसों बाद राजकमल प्रकाशन ने जिसको प्रकाशित करने का साहस दिखाया. क्या यह एक अश्लील कहानी है? पढकर देखिये- क्या सचमुच यह एक अश्लील कहानी है- जानकी …

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अपने साहस से डिग मत जाना गौरव सोलंकी

आज मैंने तहलका.कॉम पर युवा लेखक गौरव सोलंकी का ‘पत्र’ पढ़ा. पढकर दिन भर सोचता रहा कि आखिर हिंदी के एक बड़े प्रकाशक ने, जिसने पिछले ७-८ सालों से हिंदी की युवा प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रशंसनीय अभियान चला रखा है, युवा लेखकों की पहली पुस्तकों को न केवल …

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