राजकमल स्थापना दिवस पर आयोजित ‘भविष्य के स्वर’ आयोजन में पहली बार जिज्ञासा लाबरू को सुना। हम हिंदी वाले बाहर की दुनिया के बारे में कितना कम जानते हैं। अगर उस दिन जिज्ञासा को नहीं देखा, सुना होता तो यह कहाँ पता चलता कि जिज्ञासा बहुत कम उम्र से बच्चों …
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