डियर विद्या, मैं हिंदी सिनेमा का एक बेहद मामूली दर्जे का दर्शक हूँ. बहुत दिनों से ये खत में मन में अटका हुआ था. कभी फुरसत नसीब नही होती थी तो कभी मैं खुद में गुमशुदा था. आपसे बात करने के लिए दिल को थोड़ी देर के लिए बंदिशों से …
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