किसान आन्दोलन के बहाने नागेश्वर पांचाल का यह आत्मपरक लेख. ================================= मैं एक किसान पुत्र था, लेकिन अब मैं एक किसान पुत्र नही हूँ । कुछ सालो पहले आर्थिक तंगी की वजह से पिताजी ने ज़मीन की बिक्री कर दी थी । वो खेत, इमली की शाखाओं पर झूलना, आमो …
Read More »अफसानों में उभरा फसाद का दर्द
राजकमल प्रकाशन से जुबैर रिजवी के संपादन में एक किताब आई है ‘फसादात के अफ़साने’ यानी दंगों से जुड़ी कहानियां. नागेश्वर पांचाल ने इस किताबा पर लिखा है- मॉडरेटर =============================== फ़सादत के अफ़साने, जुबैर रज़वी द्वारा सम्पादित हिन्दुस्तान के फसादात के अफ़सानों का संग्रह है | फ़सादत के किस्सों पर …
Read More »मुक्ति-भवन – मोक्ष का वेटिंग रूम
कुछ फ़िल्में ऐसी होती है जो लीक से हटकर होती हैं। जिसे कुछ ख़ास तरह के लोग पसंद करते हैं। ऐसी ही फ़िल्म है मुक्ति भवन। फ़िल्म के बारे में युवा लेखक नागेश्वर पांचाल ने लिखा है। आप भी पढ़िए – सम्पादक ======================================================== गुस्ताव फ्लौबेर्ट कहते है “देयर इज नो …
Read More »