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Tag Archives: पंकज कौरव

जनादेश 2019: एक बात जो बार-बार छूट रही है…

कल लोकसभा चुनावों के अभूतपूर्व परिणाम, जीत-हार का बहुत अच्छा विश्लेषण किया है युवा लेखक पंकज कौरव ने। हमेशा की तरह पंकज का एक गम्भीर, चिंतनपरक और बहसतलब लेख- मॉडरेटर ============ जनादेश आखिर जनादेश होता है। हां कभी-कभी वह भावावेश में भी आता है लेकिन बावजूद इसके अगर दोहराया जाता …

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पंकज कौरव की कविता ‘फ़िल्म इंडस्ट्री के लौंडे’

युवा लेखक पंकज कौरव अपनी हर रचना से कुछ चौंका देते हैं। अब यही कविता देखिए- मॉडरेटर ============================ वे एक्टर बनने नहीं आए थे पर अभिनेता वाली सारी ठसक उनमें कूट कूट कर भरी थी वे स्टाइल में खड़े होते अदा के साथ अपनी हर बात रखते और बची हुई …

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‘चौपड़ की चुड़ैलें’ की कहानियां पंकज कौरव की समीक्षा

पंकज सुबीर के कहानी संग्रह ‘चौपड़े की चुड़ैलें’ की कहानियों की पंकज कौरव ने बड़ी अच्छी समीक्षा की है. कई जरूरी मुद्दे उठाये हैं- मॉडरेटर ======================== वैचारिकी रचनाओं की नींव भर होती है. बड़े-बड़े बेमेल पत्थर भी नींव में ऐसे समा जाते हैं कि उनमें एकरूपता का अभाव पता ही नहीं चलता. …

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पंकज कौरव और शनि श्रृंखला की आठ कविताएँ

हम ग्रहों-नक्षत्रों के बारे में बात नहीं करते, बल्कि उसकी तरफ उदासीन रहकर अपनी प्रगतिशीलता जताते रहते हैं और यह नहीं देखते कि समाज पर इनका प्रभाव बढ़ता जा रहा है. पिछले दस-बारह सालों में शनि का प्रभाव समाज पर बढ़ता गया है. जगह-जगह शनि मंदिर बन रहे हैं, शहरों-बाजारों …

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पंकज कौरव और राहू सीरिज की चार कविताएँ

पंकज कौरव का लेखन मुझे इसलिए बहुत पसंद है क्योंकि लेखन में प्रयोग का साहस उनके अन्दर है और वे अपने प्रयोगों को साध भी लेते हैं. मसलन छाया ग्रह राहू को लेकर लिखी गई उनकी कविताएँ पढ़िए- मॉडरेटर ========================================================= राहु – 1   मैं न होकर भी उतना हूं …

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सियासत की धुन पर मोहब्बत का फ़साना ‘हसीनाबाद’

गीताश्री के पहले उपन्यास ‘हसीनाबाद’ ने इस साल पाठकों-समीक्षकों-आलोचकों का ध्यान अच्छी तरह खींचा. इस उपन्यास की यह समीक्षा युवा लेखक पंकज कौरव ने लिखी है. इधर उनकी कई समीक्षाओं ने मुझे प्रभावित किया. उनमें एक यह भी है- मॉडरेटर ====================== हसीनाबाद के आबाद होने की दास्तान में ही कहीं …

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लोकप्रिय शैली में लिखी गंभीर कहानियां

आकांक्षा पारे बहुत जीवंत, दिलचस्प कहानियां लिखती हैं और वह बिना अधिक लोड लिए. इसीलिए कथाकारों की भीड़ में सबसे अलग दिखाई देती हैं. उनके कहानी संग्रह ‘बहत्तर धडकनें तिहत्तर अरमान’ पर एक अच्छी समीक्षा लिखी है युवा लेखक पंकज कौरव ने, जिनके लेखन का मैं खुद ही कायल रहा …

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हिंदी व्यंग्य में ताजा हवा का झोंका है ‘मदारीपुर जंक्शन’

बालेन्दु द्विवेदी के उपन्यास ‘मदारीपुर जंक्शन’ की आजकल बहुत चर्चा है. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास की एक सुघड़ समीक्षा लिखी है युवा लेखक पंकज कौरव ने- मॉडरेटर ====================================== व्यंग्य पढ़ने सुनने में कितना भी आसान क्यों न लगे पर उसे साधना इतना भी आसान नहीं. ज्यादातर व्यंग्य रचनाओं …

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बचपन की मोहब्बत की जवान कहानी

मेरे हमनाम लेखक प्रभात रंजन के उपन्यास ‘विद यू विदाउट यू’ की तरफ लोगों का ध्यान गया. इस उपन्यास की शायद यह पहली ही समीक्षा है. वह भी इतनी विस्तृत और गहरी. लिखी है पंकज कौरव ने- मॉडरेटर ==================================================== हाल ही में प्रकाशित लोकप्रिय शैली का उपन्यास विद यू विदाउट …

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छावनियों के शहर के लेखक की आत्मकथा

वरिष्ठ लेखक धीरेन्द्र अस्थाना की आत्मकथा ‘ज़िन्दगी का क्या किया’ पर बहुत अच्छी टिप्पणी पंकज कौरव ने की है. पंकज जी की लिखी यह पहली समीक्षा ही है. एक बात है बहुत दिनों बाद किसी लेखक की ऐसी आत्मकथा आई है समय गुजरने के साथ जिसके शैदाई बढ़ते जा रहे …

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