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Tag Archives: पंकज सुबीर

ज्ञान और संवेदना के संतुलन का उपन्यास

पंकज सुबीर के उपन्यास ‘जिन्हें जुर्म–ए–इश्क़ पे नाज़ था’ की आजकल बहुत चर्चा है। इसकी समीक्षा पढ़िए। वीरेंद्र जैन ने लिखी है- ============== मुक्तिबोध ने कहा था कि साहित्य संवेदनात्मक ज्ञान है। उन्होंने किसी विधा विशेष के बारे में ऐसा नहीं कहा अपितु साहित्य की सभी विधाओं के बारे में …

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‘चौपड़ की चुड़ैलें’ की कहानियां पंकज कौरव की समीक्षा

पंकज सुबीर के कहानी संग्रह ‘चौपड़े की चुड़ैलें’ की कहानियों की पंकज कौरव ने बड़ी अच्छी समीक्षा की है. कई जरूरी मुद्दे उठाये हैं- मॉडरेटर ======================== वैचारिकी रचनाओं की नींव भर होती है. बड़े-बड़े बेमेल पत्थर भी नींव में ऐसे समा जाते हैं कि उनमें एकरूपता का अभाव पता ही नहीं चलता. …

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