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Tag Archives: पागलखाना

बाज़ार के चंगुल में फंसे भयावह समय का कथानक ‘पागलखाना’

ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ पर राहुल देव की टिप्पणी. बहुत बारीकी से उन्होंने इस उपन्यास को हमारे लिए खोला है. एक आदर्श समीक्षा का नमूना. चाहे आप सहमत हों या असहमत लेखक का लिखा प्रभावित कर जाता है- मॉडरेटर =============================================== जब/ ममता, गाय के थनों से निकलकर/ पॉलीपैक में …

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पागल बनाने वाला उपन्यास है ‘पागलखाना’

  राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘पागलखाना’ पर यशवंत कोठारी की टिप्पणी- मॉडरेटर ================================================================= राजकमल प्रकाशन ने ज्ञान चतुर्वेदी का पागलखाना छापा है। 271  पन्नों का  उपन्यास ऑनलाइन 595  रूपये (536+30+29)का पड़ा।  14 दिनों में डिलीवरी मिली। कवर पर  शेर और उसकी परछाई देख कर  ही डर …

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