आज मार्केज़ की पुण्यतिथि है। जब उनका निधन हुआ था तो हिंदी के वरिष्ठ लेखक-कवि-पत्रकार प्रियदर्शन ने उनके साहित्य का मूल्यांकन करते हुए यह लेख लिखा था। आज याद आया तो साझा कर रहा हूँ। मौक़ा मिले तो पढ़िएगा। बहुत से सूत्र मिलेंगे- मॉडरेटर =============== एक लड़की थी- फ्राउड फ्रेरा। …
Read More »पाठ और पुनर्पाठ के बीच दो उपन्यास
आजकल सबसे अधिक हिंदी में समीक्षा विधा का ह्रास हुआ है. प्रशंसात्मक हों या आलोचनात्मक आजकल अच्छी किताबें अच्छे पाठ के लिए तरस जाती हैं. लेकिन आशुतोष भारद्वाज जैसे लेखक भी हैं जो किताबों को पढ़कर उनकी सीमाओं संभावनाओं की रीडिंग करते हैं. इस बार ‘हंस’ में उन्होंने प्रियदर्शन के …
Read More »कितनी सारी देवियां, कितनी सारी स्त्रियां, कितनी सारी कथाएं
भारत में देवी के मिथक को समझने के लिहाज से, देवी के अलग रूपों को समझने के लिहाज से देवदत्त पट्टनायक की पुस्तक ‘भारत में देवी अनंत नारीत्व के पांच स्वरूप’ बहुत उपयोगी है. मूल अंग्रेजी में लिखी गई इस किताब के हिंदी अनुवाद की बहुत अच्छी समीक्षा जाने-माने लेखक प्रियदर्शन …
Read More »ज़िन्दगी लाइव: फंतासी झूठ नहीं, संभावना है!
किताबों के बाजार की सबसे बड़ी ब्यूटी यह होती है कि जिस किताब को लेखक-प्रकाशक चलाना चाहता है वह अक्सर नहीं चल पाती है लेकिन जिसे वह साधारण समझता है वह असाधारण रूप से पाठकों के बीच छा जाती है. प्रियदर्शन के पहले उपन्यास ‘ज़िंदगी लाइव’ के साथ यही हुआ. …
Read More »‘मुक्तांगन’ में ‘राम’ से शाम तक
वसंत के मौसम के लिहाज से वह एक ठंढा दिन था लेकिन ‘मुक्तांगन’ में बहसों, चर्चाओं, कहानियों, शायरी और सबसे बढ़कर वहां मौजूद लोगों की आत्मीयता ने 29 जनवरी के उस दिन को यादगार बना दिया. सुबह शुरू हुई राम के नाम से और शाम होते होते दो ऐसे शायरों …
Read More »इस साल की मेरी सबसे प्रिय कहानी ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’
इस साल पढ़ी गई कहानियों में जिस कहानी का असर मेरे ऊपर सबसे गहरा रहा वह कहानी है प्रियदर्शन की बारिश धुआँ और दोस्त. यह कहानी किसी विराट का ताना-बाना नहीं बुनती बल्कि नई कहानी आन्दोलन की कहानियों की तरह अपने समकालीन जीवन के बहुत करीब है. संबंधों की एक …
Read More »‘बारिश, धुआँ और दोस्त’ की कहानियां
इस साल मेरे समकालीनों, वरिष्ठों के कई कथा-संकलन आये लेकिन जो संग्रह मेरे दिल के सबसे करीब है वह प्रियदर्शन का ‘बारिश, धुआँ और दोस्त‘. प्रियदर्शन की कहानियों में समकालीन जीवन की जद्दोजहद जितनी विविधता के साथ आती है वह किसी और लेखक में कम ही दिखाई देती है. हैरानी …
Read More »हिंदी सिनेमा की नई ‘क्वीन’
कल घोषित सिनेमा के राष्ट्रीय पुरस्कारों में ‘क्वीन’ फिल्म के लिए कंगना रानावत को सर्वश्रेष्ठ नायिका का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. प्रियदर्शन का यह लेख ‘क्वीन’ के बहाने सिनेमा की बदलती नायिकाओं को लेकर है. लेख पुराना है लेकिन आज एक बार फिर प्रासंगिक लगने लगा है. आप भी पढ़कर …
Read More »प्रियदर्शन की कहानी ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’
बरसों बाद प्रियदर्शन का दूसरा कहानी संग्रह आया है ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’. कल उसका लोकार्पण था. उस संग्रह की शीर्षक कहानी. तेज भागती जिंदगी में छोटे छोटे रिश्तों की अहमियत की यह कहानी मन में कहीं ठहर जाती है. पढियेगा और ताकीद कीजियेगा- मॉडरेटर ======================================================== वह कांप रही है। बारिश …
Read More »मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं हिंदी मुस्कुराती है
आज हिंदी के दुःख को उर्दू ने कम कर दिया- कल साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा के बाद किसी मित्र ने कहा. मेरे जैसे हजारों-हजार हिंदी वाले हैं जो मुनव्वर राना को अपने अधिक करीब पाते हैं. हिंदी उर्दू का यही रिश्ता है. हिंदी के अकादेमी पुरस्कार पर फिर चर्चा …
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