अनुभव सिन्हा की फ़िल्म ‘थप्पड़’ पर यह सुविचारित टिप्पणी लिखी है युवा लेखक-पत्रकार फ़िरोज़ खान ने- =================== हिंदी में हम जिस तरह का सिनेमा देखते रहे हैं, उसमें सांप्रदायिकता पर भी बात हुई है, जाति पर भी और जेंडर पर भी। सांप्रदायिकता और जाति पर काफी फिल्में हैं। कुछ बहुत …
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