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Tag Archives: भारंगम

नाटक क्या सिनेमा का फाटक होता है?

  आज ‘प्रभात खबर’ अखबार में भारंगम के बहाने मैंने नाटक-नाटककारों पर लिखा है. आप यहाँ भी पढ़ सकते हैं- प्रभात रंजन  ================ ‘अपने यहाँ, विशेष रूप से हिन्दी में, उस तरह का संगठित रंगमंच है ही नहीं जिसमें नाटककार के एक निश्चित अवयव होने की कल्पना की जा सके’- …

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उन्नीसवां भारत रंग महोत्सव २०१७ : प्रथम चरण के नाटक

  भारत रंग महोत्सव के नाटकों का दिल्ली के दर्शकों को बेहद इन्तजार रहता है. इसके पहले दो दिनों के नाटकों पर जानी-मानी रंग समीक्षक, कवयित्री मंजरी श्रीवास्तव की यह विस्तृत टिप्पणी उन लोगों के लिए जो नाटक देख नहीं पाए. वे इसे पढ़ते हुए उन नाटकों को फील कर …

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