मनोहर श्याम जोशी की किताब ‘बातें-मुलाकातें: आत्मपरक-साहित्यपरक’ मेरे पास मार्च से है लेकिन इसके ऊपर लिख आज रहा हूँ. यही होता है जो लेखक हमारे सामने होता है हम उसी के ऊपर लिखते रहते हैं, शाबासी के लिए, मिल जाए तो रेवड़ियों के लिए. आज लिखते हुए मैं यही सोचता …
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