मुक्ति शाहदेव पेशे से अध्यापिका हैं। राँची में रहती हैं। उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है ‘आँगन की गोरैया’। कुछ कविताएँ उसी संग्रह से- मॉडरेटर ======================= प्रेयसी वसंत की मैं हूँ पलाश प्रेयसी वसंत की शोख़ चंचल उन्मुक्त। उदासी का मेरे आँगन है क्या काम? पल-पल प्रतिपल प्रतीक्षारत …
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