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Tag Archives: राकेश तिवारी

एक भू सुंघवा लेखक की यात्राएँ

राकेश तिवारी के यात्रा वृत्तांत ‘पहलू में आए ओर-छोर : दो देश चिली और टर्की’ पर प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ की टिप्पणी। पुस्तक का प्रकाशन सार्थक, राजकमल ने किया है- ======== यात्रावृत्तातों की शैली में रोचक प्रयोग, मीठी व्यंजना, लोक भाषा के प्रयोग, पुरावेत्ता ( जिसे वे स्वयं भू सुंघवा कहते …

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राकेश तिवारी की कहानी ‘चिट्टी जनानियाँ’

कुमाऊँ के परिवेश पर राकेश तिवारी की दो कहानियाँ ऐसी हैं जो मुझे बहुत पसंद हैं- एक तो ‘मुचि गई लड़कियाँ’, जो नैनीताल के परिवेश पर है। जानकी पुल पर उसको बहुत पहले लगाया भी था। दूसरी कहानी है ‘चिट्टी जनानियाँ’। इसी नाम से उनका संग्रह भी आया है वाणी …

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रानी एही चौतरा पर

लेखक राकेश तिवारी का यात्रा वृत्तांत ‘पवन ऐसा डोले’ रश्मि प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। प्रस्तुत है उसी का एक अंश- मॉडरेटर रानी एही चौतरा पर ………………………….. अगले दिन सोन पार उतर कर अगोरी की ओर डोल गये। ऊँचे सिंहद्वार पर सिंहवाहिनी दुर्गा। भीतर, जहाँ-तहाँ बढ़ चले झाड़-गाछ-लतरें, ढही दीवारें, …

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 राकेश तिवारी की कहानी ‘मुचि गई लड़कियां’  

राकेश तिवारी को मैं एक अच्छे पत्रकार, लेखक के रूप में जानता, पढता रहा हूँ लेकिन उनकी यह कहानी कुछ अलग ही है. कुमाऊँ का परिवेश, किस्सागोई और मुचि गई लड़कियां. पढियेगा, आपको भी अच्छी लगेगी. यह कहानी ‘आजकल’ में प्रकाशित हुई थी- मॉडरेटर ================================================= धनंजय कहता है यह तारा …

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‘छोटी-छोटी गौवें, छोटे-छोटे ग्वाल, छोटे से हमरे मदन गोपाल’

राकेश तिवारी का उपन्यास आया है ‘फसक‘. कुमाऊँनी में फसक का मतलब गप्प होता है. हजारी प्रसाद द्विवेदी गल्प यानी उपन्यास को गप्प मानते थे. उपन्यास का एक रोचक अंश. प्रसंग गौ-कथा सुनने का है. यह उपन्यास वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है- मॉडरेटर ================================= नन्नू महराज के आश्रम में …

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राकेश तिवारी के उपन्यास ‘तिराहे पर फसक’ का अंश

राकेश तिवारी का कहानी संग्रह कुछ समय पहले आया था- मुकुटधारी चूहा. अच्छी कहानियां थीं. उनके लेखन में एक अन्तर्निहित विट है जो पाठकों को बांधता है. यह उनके इस उपन्यास में भी दिखाई देता है. फसक कुमाऊंनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ गप्प होता है. एक रोचक अंश …

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क्या मीडिया समाज की नकारात्मक छवि बनाता है?

अभी हाल में ही वरिष्ठ पत्रकार राकेश तिवारी की किताब आई है- ‘पत्रकारिता की खुरदरी जमीन’. इस पुस्तक में उन्होंने बड़ा मौजू सवाल उठाया है कि आखिर मीडिया ऐसे समाचार ही क्यों प्रमुखता देता जिससे हमारे अंदर निराशा का भाव पैदा होता है, नकारात्मकता पैदा होती है. समाज में अच्छे …

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राकेश तिवारी की कहानी ‘अंजन बाबू हँसते क्यों हैं’

80-90 के दशक में जब दिल्ली विश्वविद्यालय में पढता था तो जिन कथाकारों की कहानियां पढने में आनंद आता था उनमें एक राकेश तिवारी थे. मध्यवर्गीय जीवन के छोटे-छोटे प्रसंगों को लेकर कई कमाल की कहानियां लिखी उन्होंने. बीच में अपने लेखन को लेकर खुद लापरवाह हो गए. अभी दो …

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