Home / Tag Archives: राजपाल एंड सन्ज

Tag Archives: राजपाल एंड सन्ज

रस्किन बांड और मसूरी के सेवॉय होटल के भूत

कल मैंने फेसबुक पर भूतों से अपने डर की बात लिखी थी. उसमें मैंने रस्किन बांड का जिक्र किया था. मसूरी में रहने वाले इस लेखक ने भूतों के अपनी मुलाकातों के बारे में खूब लिखा है. अभी हाल में ही उनकी एक किताब मिली हिंदी अनुवाद में ‘अजब गजब …

Read More »

रस्किन बांड की कहानी ‘अँधेरे में एक चेहरा’

रस्किन बांड ने भूतों-प्रेतों की अलौकिक दुनिया को लेकर अनेक कहानियां लिखी हैं. उनकी ऐसी ही कहानियों का संकलन ‘अँधेरे में एक चेहरा’ नाम से राजपाल एंड संज प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. अंग्रेजी से इन कहानियों का अनुवाद किया है युवा लेखिका रश्मि भारद्वाज ने. उसी किताब से एक …

Read More »

फ़्रेंच लेखक डाविड फोइन्किनोस के उपन्यास का अनुवाद-अंश

फ्रेंच लेखक डाविड फोइन्किनोस के उपन्यास डेलिकेसी’ का एक अंश. यह उपन्यास हिंदी में  ‘नजाकत’ के  नाम  से  राजपाल एंड  सन्ज प्रकाशन से  प्रकाशित  हुआ  है. अनुवाद मैंने किया है- प्रभात रंजन  ================================================================             मार्कस की छोटी सी प्रेम कहानी, उसके आंसुओं के माध्यम से कही …

Read More »

पाट्रिक मोदियानो का उपन्यास हिंदी में- मैं गुमशुदा!

  2014 में जब फ्रेंच भाषा के लेखक पाट्रिक मोदियानो को नोबेल पुरस्कार मिला तो कम से कम हिंदी की दुनिया में वह एक अपरिचित सा नाम लगा. बाद में पढने में आया कि फ्रांस के बाहर भी उनका नाम बहुत परिचित नहीं था क्योंकि उनके अनुवाद बहुत हुए नहीं …

Read More »

देवदत्त पटनायक की पुस्तक ‘भारत में देवी’ का एक अंश

देवदत्त पट्टनायक हमारे समय में संभवतः मिथकों को आम लोगों की भाषा में पाठकों तक सरल रूप में पहुंचाने वाले सबसे लोकप्रिय लेखक हैं. उनकी नई पुस्तक आई है ‘भारत में देवी: अनंत नारीत्व के पांच स्वरुप‘. यह हिन्दू धर्म में देवी के स्वरुप को लेकर संभवतः पहली पुस्तक है, जिसमें …

Read More »

अंतर्मन की ‘अंतरा’

हाल में ही एक काव्य-पुस्तक हाथ आई- ‘अंतरा’. कवि का नाम पढ़कर ध्यान ठहर गया- विश्वनाथ. श्री विश्वनाथ जी का कुछ साल पहले ही देहांत हुआ. राजपाल एंड सन्ज प्रकाशन के प्रकाशक के रूप में उनका नाम बरसों से जानता था. लेकिन यह कवितायेँ उनका एक अलग ही रूप लेकर …

Read More »

असगर वजाहत का कैम्पस कनेक्शन!

असगर वजाहत हमारे दौर के सबसे जीवंत किस्सागो हैं. उनके लिखे उपन्यास हों, कहानियां हों या गद्य की किसी और विधा का लेखन हो उनमें वाचिक परम्परा का वैभव दिखाई देता है. उनको पढने, सुनने की लत पड़ जाती है. पाठकों को अगर एक साथ उनकी तीन किताबें पढने को …

Read More »