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Tag Archives: रामधारी सिंह दिनकर

नेहरु जी जनतंत्र के सबसे बड़े प्रकाश स्तम्भ थे

आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की पुण्यतिथि है. आज के ही दिन 1964 में उनका देहांत हुआ था. लेखकों-कलाकारों से जैसा राग नेहरु जी का था वैसा किसी और प्रधानमंत्री का नहीं हुआ. हिंदी के लेखकों को भी सबसे अधिक मान-सम्मान उनके ही काल में मिला. राष्ट्रकवि रामधारी …

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मदर्स डे और दिनकर की ‘रश्मिरथी’

मदर्स डे के दिन रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कृति ‘रश्मिरथी’ की याद भी आ जाती है. खासकर उसका पांचवां सर्ग, जिसमें कर्ण और कुंती का संवाद है. अवैध संतान होने की पीड़ा झेलता कर्ण और उसकी माँ कुंती, जिसने उसको कभी बेटा नहीं कहा. ‘रश्मिरथी’ के पांचवें सर्ग में वह …

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दिनकर की किताब ‘लोकदेव नेहरु’ के 50 साल

‘लोकदेव नेहरु’ के प्रकाशन का यह 50 वां साल है. मुझे आश्चर्य होता है कि इस किताब की तरफ नेहरु की मृत्यु की अर्धशताब्दी के साल कांग्रेस पार्टी का ध्यान भी नहीं गया. जबकि यह दिनकर जी की सबसे अच्छी पुस्तकों में ही. दुर्भाग्य है कि जो दिनकर के आलोचक …

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सिंहासन खाली करो कि जनता आती है

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की यह कविता मुझे तब तब जरूर याद आती है जब विप्लव की आहट सुनाई देती है. कितना विरोधाभास है कि दिनकर जी जीवन के आखिरी कुछ वर्षों को छोड़ दें तो आजीवन कांग्रेस की सत्ता के करीब बने रहे, नेहरु जी, इंदिरा जी के करीब रहे. …

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