रोहिणी अग्रवाल हमारे समय की एक सजग और गंभीर आलोचक हैं. अभी हाल में ही उन्होंने राजकमल प्रकाशन की ‘प्रतिनिधि कहानियां’ सीरीज में उषा प्रियंवदा की कहानियों का संचयन तैयार किया है. एक जमाने में नामवर सिंह ने नई और पुरानी कहानियों के अंतर को स्पष्ट करने के लिए उषा प्रियंवदा …
Read More »आत्मालोचन के खाद-पानी से मनुष्य-धर्म समृद्ध होता है
यु. आर. अनंतमूर्ति के उपन्यास ‘संस्कार’ को कन्नड़ भाषा के युगांतकारी उपन्यास के रूप में देखा जाता है, वह सच्चे अर्थों में एक भारतीय उपन्यास माना जाता है, जिसने भारतीय समाज के मूल आधारों पर सवाल उठाया. उनको श्रद्धांजलिस्वरूप उस उपन्यास पर प्रसिद्ध आलोचक रोहिणी अग्रवाल का यह लेख- मॉडरेटर ================================================================ …
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