मैत्रयी पुष्पा की किताब ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’ पर चल रहे विवाद पर युवा लेखिका दिव्या विजय की टिप्पणी- मॉडरेटर ======= ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’ इस पर मैत्रेयी पुष्पा भले ही कन्फ़्यूज़्ड हों पर आस-पास चल रहे मुबाहिसे में लगभग सब एक मुकाम पर पहुँच चुके …
Read More »मैत्रेयी पुष्पा की किताब में विचारों की विदाई के साथ प्रेम की भी विदाई है
मैत्रेयी पुष्पा की किताब आई है ‘वह सफ़र था कि मुकाम था’. किताब का विषय राजेंद्र यादव जी के साथ उनकी मैत्री है. इस पुस्तक पर यह टिप्पणी लिखी है साधना अग्रवाल ने- मॉडरेटर ================================= कभी हिंदी के लेखक आत्मकथा लिखने में संकोच करते थे लेकिन आज आत्मकथा लिखना …
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