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Tag Archives: विमल चन्द्र पाण्डेय

सोचा ज़्यादा किया कम उर्फ एक गँजेड़ी का आत्मालाप

विमल चन्द्र पाण्डेय की की लम्बी कविता. लम्बी कविता का नैरेटिव साध पाना आसान नहीं होता. स्ट्रीम ऑफ़ कन्सशनेस की तीव्रता का थामे हुए कविता के माध्यम से एक दौर की टूटन को बयान कर पाना आसान नहीं होता. बहुत दिनों बाद मैंने एक ऐसी लम्बी कविता पढ़ी जिसके आत्मालाप में …

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