हाल में ही एक काव्य-पुस्तक हाथ आई- ‘अंतरा’. कवि का नाम पढ़कर ध्यान ठहर गया- विश्वनाथ. श्री विश्वनाथ जी का कुछ साल पहले ही देहांत हुआ. राजपाल एंड सन्ज प्रकाशन के प्रकाशक के रूप में उनका नाम बरसों से जानता था. लेकिन यह कवितायेँ उनका एक अलग ही रूप लेकर …
Read More »