शरतचन्द्र पहली बार मुजफ्फरपुर 1902 में गये थे. तब लेखक के रूप में उनकी प्रसिद्धि नहीं हुई थी. हालाँकि उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था. विष्णु प्रभाकर ने ‘आवारा मसीहा’ में इस सम्बन्ध में विस्तार से लिखा है कि वे वहां किस तरह से महादेव साहू, बंगाल लेखिका अनुरूपा देवी …
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