शोर-शराबे के दौर में स्वप्निल श्रीवास्तव चुपचाप कवि हैं, जिनके लिए कविता समाज में नैतिक होने का पैमाना है. उनकी कुछ सादगी भरी, गहरी कवितायेँ आज आपके लिए- मॉडरेटर. एक ————– शुरूआत —— जिस दिन अर्जुन ने चिड़िया की आंख पर निशाना लगाया था उसी दिन हिंसा की शुरूआत हो …
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