वरिष्ठ लेखक धीरेन्द्र अस्थाना की आत्मकथा ‘ज़िन्दगी का क्या किया’ पर बहुत अच्छी टिप्पणी पंकज कौरव ने की है. पंकज जी की लिखी यह पहली समीक्षा ही है. एक बात है बहुत दिनों बाद किसी लेखक की ऐसी आत्मकथा आई है समय गुजरने के साथ जिसके शैदाई बढ़ते जा रहे …
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