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आईनासाज़:परछाइयां और आहटें पकड़ने का अजब खेल

अनामिका के उपन्यास ‘आईनासाज़’ की कथा को लेकर बहुत लिखा गया है लेकिन उसके विजन को लेकर बात कम हुई है। राजीव कुमार की यह समीक्षा मेरे जानते इस उपन्यास की शायद पहली ही समीक्षा है जो ‘आईनासाज़’ के विजन की बात करती है, अमीर खुसरो, सूफ़ी परम्परा, स्त्री-पुरूष के रिश्ते, …

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अनामिका के उपन्यास ‘आईनासाज़’ का चुनिंदा अंश

इस पुस्तक मेले में जिस किताब का मुझे बेसब्री से इंतज़ार है वह अनामिका का उपन्यास ‘आईनासाज़’ है। राजकमल से शीघ्र प्रकाश्य यह उपन्यास अमीर खुसरो के जीवन पर आधारित है। दिल्ली के सात बादशाहों के दरबार में इतिहास लेखक के रूप में काम करने वाले अमीर खुसरो को हिंदी …

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ख़ुसरौ रैन सुहाग की जागी पी के संग, तन मेरो मन पियो को दूधिए एक रंग 

जब इतिहास के किसी किरदार, किसी प्रसंग पर इतिहासकार लिखता है तो उससे विश्वसनीयता आती है और आजकल इतिहास के विश्वसनीय पाठ पढना जरूरी लगने लगा है. हज़रत अमीर ख़ुसरौ देहलवी (१२५३ – १३२५) पर जाने-माने इतिहासकार रज़ीउद्दीन अक़ील का लिखा पढ़िए. हिंदी और उर्दू के इस आरंभिक शायर पर रज़ी साहब …

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