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Tag Archives: anu singh chaudhary

अनु सिंह चौधरी की कहानी ‘नीला स्कार्फ’

स्त्री-लेखन की चर्चा में उन लेखिकाओं की चर्चा भी होनी चाहिए जिन्होंने स्त्री-लेखन के दशकों पुराने ‘क्लीशे’ को तोड़ा और स्त्री-लेखन की सर्वथा नई जमीन तैयार की. इस चर्चा में अनु सिंह चौधरी और उनकी कहानी ‘नीला स्कार्फ’ की चर्चा के बिना यह चर्चा अधूरी ही मानी जायेगी. अनु जी …

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न खिलाड़ी पैदा करना आसान है, और न स्पोर्ट्स फ़िल्में बनाना!

‘साला खडूस’ नहीं देखी है तो प्रसिद्ध लेखिका अनु सिंह चौधरी की इस रिव्यू को पढ़ लीजिये. इस विस्तृत रिव्यू को पढ़कर लगा कि फिल्म को देखा जा सकता है. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर  ============================================================ आर माधवन के लिए हम इतने ही पागल हैं कि रामजी लंदनवाले और १३बी जैसी …

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‘एयरलिफ्ट’ को ऐतिहासिक घटना से जुदा कर फिल्म रूप में देखा जाना चाहिए

प्रसिद्ध लेखिका अनु सिंह चौधरी ने ‘एयरलिफ्ट’ फिल्म पर लिखा है. वह बहुत संतुलित लिखती हैं. फिल्म को हर पहलू से देखते-समझते हुए. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर  ============================================= एयरलिफ्ट देखते हुए मैंने दो काम किए, पहला फ़िल्म के दौरान ही कुवैत इवैकुएशन गूगल किया और दूसरा, अपने फ़ोन में सीवान …

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‘जुगनी’ की कहानी एक किस्म का आत्मअन्वेषण है

फिल्म ‘जुगनी’ पर युवा लेखिका अनु सिंह चौधरी जी ने इतना अच्छा लिखा है कि पढने के बाद मैं यह सोच रहा था कि फिल्म अब कहाँ देखी जा सकती है. वह ज़माना तो रहा नहीं जब फ़िल्में सिनेमा हॉल में हफ़्तों टिकी रहती थी. आप भी पढ़िए- मॉडरेटर  ========================================== …

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वक्त लिखता रहा चेहरे पर हर पल का हिसाब

लेखिका अनु सिंह चौधरी की की दूसरी किताब ‘मम्मा की डायरी’ हिंदी में अपने ढंग की पहली किताब है. रिश्तों को, जीवन को, समकालीन जद्दोजहद को समझने  के लिहाज से एक मुकम्मल किताब. हिन्दयुग्म प्रकाशन से शीघ्र प्रकाश्य इस किताब की प्रीबुकिंग चालू है. फिलहाल इसका एक छोटा सा अंश, …

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‘रॉय’ ने मेरे भीतर के ज्ञान-चक्षु खोल दिए हैं!

फिल्म ‘रॉय’ की आपने कई समीक्षाएं पढ़ी होंगी. यह समीक्षा लिखी है हिंदी की जानी-मानी लेखिका अनु सिंह चौधरी ने. जरूर पढ़िए. इस फिल्म को देखने के लिए नहीं, क्यों नहीं देखना चाहिए यह जानने के लिए- मॉडरेटर. ============= इस ‘रॉय‘ ने मेरे भीतर के ज्ञान-चक्षु खोल दिए हैं। फिल्म …

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जेड प्लस इंटेलेक्चुअल फिल्म नहीं, इंटेलिजेंट फिल्म है!

यह शाम की रिव्यू है. जो सुबह से थोड़ी अलग है और कुछ कुछ उस जैसी भी है. जेड प्लस फिल्म ही ऐसी है कि हर लेखक का अपना अपना पाठ तैयार है. यह पाठ है प्रसिद्ध युवा लेखिका अनु सिंह चौधरी का. असल में करोड़ करोड़ खेलने वाली फिल्मों …

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पैशन, फ़न, रोमांस, लाइफ़ और लव की तलाश है ‘फाइडिंग फ़ैनी’

प्रसिद्ध लेखिका अनु सिंह चौधरी सिनेमा पर बहुत बारीकी से लिखती हैं, पढ़नेवालों को फिल्म फ्रेम दर फ्रेम समझ में आने लगती है. अब देखिए कल रिलीज हुई फिल्म ‘फाइंडिंग फैनी’ पर लिखते हुए उन्होंने फिल्म के अन्य पहलुओं के साथ-साथ फिल्म में इस्तेमाल किये गए प्रॉप तक की चर्चा …

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यह फिल्म पुरुषों के लिए भी एक सबक है

हाल में आई फिल्म मेरी कॉम पर यह लेख लिखा है चर्चित लेखिका अनु सिंह चौधरी ने. जब फिल्म पर लिखते हुए व्यावसायिकता का दबाव नहीं होता है तो ऐसी ही संतुलित, आत्मीय समीक्षा लिखी जा सकती है, जिसमें फिल्म, जीवन के अनेक पहलू अपने आप उद्घाटित होते चले जाते …

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सवाल ये है कि ‘नीला स्कार्फ’ है क्या?

इस समय वह हिंदी की एक बड़ी परिघटना है- नीला स्कार्फ. प्री-लांच यानी किताब छपने से पहले इस किताब की अब तक करीब 1400 प्रतियाँ बिक चुकी हैं. इस किताब ने हिंदी के बहुत सारे मिथों को तोड़ दिया है. जिसमें सबसे बड़ा मिथ यह है कि हिंदी में किताब …

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