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कविता शुक्रवार 5: अरुण देव की नई कविताएँ

‘कविता शुक्रवार’ में इस बार अरुण देव की कविताएं और युवा चित्रकार भारती दीक्षित के रेखांकन हैं। अरुण देव का जन्म सन बहत्तर के फरवरी माह की सोलह तारीख़ को कुशीनगर में हुआ, जो बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल और अज्ञेय की जन्मभूमि है। पितामह रंगून के पढ़े लिखे थे। वे …

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पीयूष दईया के कविता संग्रह ‘तलाश’ पर अरूण देव की टिप्पणी

कवि पीयूष दईया का कविता संग्रह हाल में ही आया है ‘तलाश’, जिसे राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। वे हिंदी की कविता परम्परा में भिन्न तरीक़े से हस्तक्षेप करने वाले प्रयोगवादी कवि हैं। इस संग्रह की कविताओं पर कवि अरूण देव ने यह सुंदर टिप्पणी की है- मॉडरेटर ============= …

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‘उत्तर पैग़म्बर’ जीवन, प्रेम और राग का अद्भुत समागम है

राजकमल से प्रकाशित अरूण देव के कविता संग्रह ‘उत्तर पैग़म्बर’ पर यह टिप्पणी राजीव कुमार की है। राजीव जी इतिहास, साहित्य, सिनेमा के गहरे अध्येता हैं। लिखते काम हैं लेकिन ठोस लिखते हैं- मॉडरेटर ============== अरुण देव के “उत्तर पैगम्बर”  की खुली उद्घोषणा है, “वह कोई कातिब नहीं कि  आखिरत …

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अरूण देव के नए संग्रह ‘उत्तर पैग़म्बर’ की कुछ कविताएँ

अरूण देव ‘समालोचन’ वेब पत्रिका के समादृत संपादक हैं, लेकिन सबसे पहले वे कवि हैं। इसी रूप में उनको लगभग दो दशक से जानता रहा हूँ। एक संवेदनशील कवि के रूप में। एक अंतराल के बाद उनका नया संग्रह आया है ‘उत्तर पैग़म्बर‘। राजकमल प्रकाशन से आई इस किताब की …

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जो मेरी रचना का मित्र नहीं वह मेरा मित्र नहीं!

आज हिंदी दिवस है लेकिन बजाय रोने ढोने के या ‘जय हिंदी! जय हिंदी!’ का झंडा उठाने के बजाय आज पढ़ते हैं हिंदी की आलोचना को लेकर कवि-लेखक, ‘समालोचन’ जैसे सुपरिचित ब्लॉग के मॉडरेटर अरुण देव के विचार- मॉडरेटर. ==========================  १. हिंदी के आदि संपादक आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी जब रेलवे …

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स्त्री के बालों से डरती है सभ्यता

आज युवा कवि अरुण देव की कविता. इतिहास, आख्यान के पाठों के बीच उनकी सूक्ष्म दृष्टि, बयान की नफासत सहज ही ध्यान आकर्षित कर लेती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि उनका मुहावरा, उनकी शब्दावली समकालीन कविता में सबसे अलग है. आज संयोग से अरुण का जन्मदिन भी है. इसी …

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सरयू में काँप रही थी अयोध्या की परछाईं

अरुण देव की इस कविता में इतिहास के छूटे हुए सफों का ज़िक्र  है, उनमें  भूले हुए प्रसंग अक्सर पुराने दर्द की तरह उभर आते हैं. उनकी कवि-दृष्टि  वहाँ तक जाती है जहाँ से हम अक्सर नज़रें फेर लिया करते हैं. इस कविता में तहजीब की उस गली का दर्द …

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