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Tag Archives: arun prakash

भैया एक्सप्रेस के भैया और पंजाब दोनों बदल गये हैं

वरिष्ठ लेख सूरज प्रकाश हिंदी की कुछ चर्चित कहानियों का पुनर्पाठ कर रहे हैं। आज पढ़िए अरूण प्रकाश की क्लासिक कहानी ‘भैया एक्सप्रेस’ का पाठ- ========================== 1985 में समर्थ और संवेदनशील कथाकार अरुण प्रकाश की कहानी भैया एक्सप्रेस छपी थी। मूल कहानी के कुछ अंश – भयंकर गरीबी, खाने को …

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अरुण प्रकाश की कहानी ‘भैया एक्सप्रेस’

आज सुबह सुबह फेसबुक पर सत्यानंद निरूपम जी ने अरुण प्रकाश की कहानी ‘भैया एक्सप्रेस’ कहानी का जिक्र फेसबुक पर किया आर मुझे वह दौर याद आ गया जब उत्तर बिहार के गांवों से खेतिहर मजदूर ट्रेनों में बैठ-बैठकर पंजाब जाते थे, अधिक धन कमाने की आस में। ‘गंगा’ पत्रिका …

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भैया एक्सप्रेस और चाचा की टिप्पणी

‘बया’ पत्रिका का नया अंक अरुण प्रकाश पर एकाग्र है. इसमें मैंने भी अरुण प्रकाश जी के ऊपर कुछ संस्मरणनुमा लिखा है. देखिएगा- प्रभात रंजन  ================================= जब भी अरुण प्रकाश याद आते हैं मुझे अपना गाँव याद आ जाता है. सीतामढ़ी में इंटरमीडिएट का विद्यार्थी था. राजनीतिशास्त्र के प्राध्यापक मदन …

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आपके चारों तरफ बस आईने ही आईने हैं

अरुण प्रकाश एक सशक्त कथाकार ही नहीं थे बल्कि एक संवेदनशील कवि भी थे. आज उनकी दो गजलें और एक कविता प्रस्तुत है. जिन्हें उपलब्ध करवाने के लिए हम युवा कवि-संपादक सत्यानन्द निरुपम के आभारी हैं- जानकी पुल.  =========== 1.  सिले होंठों से वही बात कही जाती है  ख़ामोशी चुपचाप …

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यह सिर्फ एक शख्स के जाने का शोक नहीं था

अरुण प्रकाश को याद करते हुए यह कविता हमारे दौर के महत्वपूर्ण कवि प्रियदर्शन ने लिखी है. प्रियदर्शन की यह कविता केवल अरुण प्रकाश को श्रद्धांजलि ही नहीं है दिल्ली के ठंढे पड़ते साहित्यिक माहौल को भी एक तरह से श्रद्धांजलि है. कविता को पढकर मैं तो बहुत देर तक …

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वे दुनिया से अपनी दुखती रग छुपाकर रखते थे

अरुण प्रकाश ऐसे लेखक थे जो युवा लेखकों से नियमित संवाद बनाये रखते थे. इसलिए उनके निधन के बाद युवाओं की टिप्पणियां बड़ी संख्या में आई. आज युवा लेखिका सोनाली सिंह ने उनको याद करते हुए लिखा है- जानकी पुल. ======================== मुझे याद है जब अरुण जी से मेरी पहली …

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छुट्टियाँ तो हैं, लेकिन वे इंतज़ार करते हुए चले गए

अरुण प्रकाश हिंदी में बड़ी लकीर खींचने वाले कथाकार ही नहीं थे, एक बेहतरीन इंसान भी थे. उनको याद करते हुए यह संस्मरण लिखा है हिंदी की पहली कविता पर शोध करने वाली युवा आलोचक सुदीप्ति ने. यह एक ऐसा लेख है जो ना केवल अरुण जी की कहानियों को समझने के कई …

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एक कहानी नहीं पूरा शोध प्रबंध है ‘भैया एक्सप्रेस’

अरुण प्रकाश की बेमिसाल कहानी ‘भैया एक्सप्रेस’ के बहाने हिंदी कहानी में उनके योगदान को याद कर रहे हों सन्मार्ग– जानकी पुल. ======================   अरुण प्रकाश चले गए यूं लगा मानो भैया एक्सप्रैस पंजाब पहुंचने से पहले ही अकस्मात दुघर्टनाग्रस्त हो गया हो। उस पर सवार रामदेव अब कैसे अपने …

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‘पैन इंडियन राइटर’ थे अरुण प्रकाश

अरुण प्रकाश नहीं रहे. लंबी बीमारी के बाद का दोपहर उनका देहांत हो गया. उनको याद कर रहे हैं प्रेमचंद गाँधी– जानकी पुल. ——————————– परंपरा और आधुनिकता के संगम के अपूर्व शिल्‍पी, संवेदना से लबरेज और भारतीय समाज की गहरी जातीय चेतना के विशिष्‍ट चितेरे अरुण प्रकाश का हमारे बीच …

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