आशुतोष भारद्वाज ने कई साल मध्य भारत के नक्सल प्रभावित इलाक़ों में पत्रकारिता की है. फ़र्ज़ी मुठभेड़, आदिवासी संघर्ष, माओवादी विद्रोह पर नियमित लिखा जिसके लिए उसे पत्रकारिता के तमाम पुरस्कार मिले, जिनमें चार बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार भी शामिल है. किताब मृत्यु-कथा के कुछ अंश— ख़्वाब एक पिछली सदी का सबसे विलक्षण रूसी तोहफा क्या था? …
Read More »प्रेम की ही तरह बर्फ से अधिक सम्मोहक बर्फ का ख्वाब होता है
प्रसिद्ध पत्रकार, युवा लेखक आशुतोष भारद्वाज आजकल शिमला एडवांस्ड स्टडीज में शोध कार्य कर रहे हैं. शिमला के बदलते मौसम पर उनका यह सम्मोहक गद्य देखिये- मॉडरेटर ====================== शिमले में इन दिनों कहीं भूले से भटक आयी बूंदें गिर रही हैं. हाल ही शिमले में कुछ इन्सान नीचे मैदानों से …
Read More »पाठ और पुनर्पाठ के बीच दो उपन्यास
आजकल सबसे अधिक हिंदी में समीक्षा विधा का ह्रास हुआ है. प्रशंसात्मक हों या आलोचनात्मक आजकल अच्छी किताबें अच्छे पाठ के लिए तरस जाती हैं. लेकिन आशुतोष भारद्वाज जैसे लेखक भी हैं जो किताबों को पढ़कर उनकी सीमाओं संभावनाओं की रीडिंग करते हैं. इस बार ‘हंस’ में उन्होंने प्रियदर्शन के …
Read More »What is the acceptable amount of blood for good literature?
Ashutosh Bhardwaj is a senior reporter and writer and writes regularly on books in financial express. Today he writes on Arundhati Roy’s much talked about novel ‘The Ministry Of Utmost Happiness.’ Twenty years on, Arundhati Roy returns with a novel that yearns for an artistic insight, and some broken …
Read More »‘लता सुर-गाथा’- आलोचना नहीं श्रद्धा की कथा
इस साल निस्संदेह यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘लता: सुर गाथा’ हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब रही. लेकिन इस किताब को लेकर कोई विस्तृत टिप्पणी या समीक्षा पढने में नहीं आई है. आज कल समीक्षा की जगह पर प्रोमोशन चलने लगा है. किताब चाहे कितनी भी बड़ी हो, उसका विषय कितना …
Read More »आशुतोष भारद्वाज के उपन्यास का अंश ‘प्रूफरीडर के नाम खत’
इन्डियन एक्सप्रेस के पत्रकार आशुतोष भारद्वाज को बस्तर पर अपनी रपटों के लिए याद किया जाता है. उनको चार बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार मिल चुका है.रायटर्स के अंतरराष्ट्रीय कुर्त शोर्क अवार्ड के लिए दुनिया भर से शॉर्टलिस्ट किये गए आठ पत्रकारों में उनका नाम भी शामिल है. लेकिन वे एक …
Read More »ड्रामा स्कूल में ड्रामे का ड्रामा
जाने माने पत्रकार आशुतोष भारद्वाज हिंदी के अच्छे कथाकार भी हैं. उन्होंने अपना पहला उपन्यास लिखा है. उसका अंश पहली बार जानकी पुल के पाठकों के लिए उन्होंने साझा किया है- मॉडरेटर ======================================================== ड्रामा स्कूल के सभी विद्यार्थियों में तुमने उन दोनो को ही क्यों अपना किरदार बनाया, इसकी वजह …
Read More »एक अनुशासनहीन फेंटेसी है ‘अँधेरे में’
पिछले साल मुक्तिबोध की मृत्यु की अर्ध-शताब्दी थी. इस मौके पर उनके ऊपर खूब कार्यक्रम हुए, थोक के भाव में उनकी रचनाओं को लेकर लेख सामने आये. लेकिन दुर्भाग्य से, किसी लेख में कोई नई बात नहीं दिखी. लगभग सारे लेखों को पढने के बाद यह कह सकता हूँ कि …
Read More »बस्तर में सवेरा मृत्यु की बांग से होता है
लेखक आशुतोष भारद्वाज जैसे बस्तर के जीवन की धडकन को अपने शब्दों में उतार देते हैं. भय, संशय, उहापोह के बीच सांस लेता बस्तर, जिसके जंगलों में नक्सलवादी रहते बताये जाते हैं- जानकी पुल. ================================================================= गरुड़ पर्व मार्च के आखिरी दिनों में बस्तर के पेड़ जब पत्तियां झरा चुकते …
Read More »डाह का साहित्यशास्त्र
युवा लेखक आशुतोष भारद्वाज हिंदी के साहित्यिक परिदृश्य पर- जानकी पुल. =================================================== माहौल इस कदर खौफनाक हिंदी में क़िबला कि कहीं शिरकत करें तो पहले मेजबान से सभी संभावित-असंभावित प्रतिभागियों-श्रोताओं की सूची और उनकी विस्तृत जन्मकुंडली मंगा लें, जन्मोपरांत उनकी सभी गतिविधियों का बारीकान्वेषण समेत. नहीं तो आपके बगल में कोई …
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